श्री राम-रावण के मध्य विशाल युद्ध | संपूर्ण रामायण

श्री राम-रावण के मध्य विशाल युद्ध | संपूर्ण रामायण

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मेघनाद की मृत्यु का समाचार सुनकर रावण शोक में डूब गया । उसका यह शोक शीघ्र ही क्रोध में बदल गया । वह बदले की भावना से भर गया तथा राम और लक्ष्मण का वध करने के लिए आतुर हो उठा राक्षस सेना को एकत्रित करके वह स्वयं युद्ध करने चल दिया ।

मार्ग में बहुत से अपशकुन हुए । घोड़ों के पैर बार-बार  फिसलते जाते थे । रावण के रथ के ऊपर गिद्ध मंडराने लगे । रावण के बाएँ अंग फड़कने लगे किन्तु किसी भी बात की कोई परवाह न करते हुए वह आगे बढ़ता गया ।

युद्ध - स्थल पर पहुंचते ही उसने वानर - सेना का संहार करना शुरू कर दिया । वानरो के शव चारों ओर बिखरने लगे । रावण के क्रोध के सामने कोई ठहर नहीं पा रहा था । रावण का रथ जिधर भी मुड़ता , वानर उधर से भाग खड़े होते ।

सुग्रीव और विरूपाक्ष में युद्ध होने लगा और सुग्रीव ने उसे मार डाला । धीरे - धीरे रावण की सेना के वीर मरते चले गए । केवल रावण  ही अकेला बच गया । वह और अधिक तेजी से वानरों को मारने लगा । वानरों की दुर्दशा देखकर युद्ध के लिए राम आ गए ।

राम और रावण के मध्य बाण - युद्ध

राम और रावण में भयंकर बाण - युद्ध होने लगा । दोनों एक - दूसरे के बाणों को काटने लगे । लक्ष्मण और विभीषण भी वहाँ आकर युद्ध करने लगे । विभीषण ने रावण के सारथी और घोड़ों को मार गिराया । विभीषण को देखते ही रावण का क्रोध और भी अधिक बढ़ गया ।

रावण ने विभीषण का वध करने हेतु एक अति शक्तिशाली बाण छोड़ा । उस बाण के लगने से विभीषण का अंत निश्चित था । लेकिन लक्ष्मण ने उस बाण को बीच में ही काट कर विभीषण को बचा लिया । तब रावण ने विभीषण पर दिव्य शक्तियों का बाण चलाया।

यह देखकर लक्ष्मण ने विभीषण को तेजी से अपने पीछे कर दिया और बाण लक्ष्मण को जा लगा । लक्ष्मण एक बार फिर मूच्छिंत होकर गिर पड़े । राम ने तुरन्त उस बाण को खींचकर बाहर निकाला । रावण ने अवसर  पाकर राम को बाणों से घायल कर दिया ।

राम ने लक्ष्मण के उपचार का दायित्व हनुमान पर छोड़ा । हनुमान जाकर वैद्य सुषेण को ले आए । वैद्य सुषेण ने लक्ष्मण को संजीवनी बूटी सुंघाई जिससे लक्ष्मण को होश आ गया । लक्ष्मण के शरीर के घाव भी भर गए । लक्ष्मण को स्वस्थ देखकर राम प्रसन्न व निश्चिन्त हो गए ।

राम ने रावण पर बाणों से आक्रमण कर दिया और क्रोध में रावण को ललकारते हुए कहा- हे  रावण ! तुम्हारी मृत्यु तुम्हें यहाँ खींचकर लाई है । अब मेरे हाथो तुम्हारा अंत निश्चित है । आज पाप पर पुण्य की विजय होगी। तुम्हारे आतंक से पीड़ित ऋषि मुनि आज चैन व संतोष की सांस लेंगे ।

अब यह धरती तुम्हारे भय से मुक्त होकर नव प्रकाशोत्सव  को प्राप्त होगी" यह कहकर राम ने वानरों को संबोधित किया "मित्रों! आप सबने बहुत युद्ध कर लिया । किंतु अब आप सब पर्वतों के शिखरों पर चढ़कर रावण के साथ होने वाले युद्ध को देखो । ऐसा भयंकर युद्ध आप सब फिर न देख सकेंगे ।"

इंद्र द्वारा राम के लिए रथ भेजना

 रावण अस्त्र - शस्त्रों से  सुसज्जित रथ पर सवार होकर युद्ध कर रहा था । यह देखकर इंद्र ने राम के लिए रथ भेजा । इंद्र का सारथी मातलि रथ लेकर राम के पास पहुंचा । उस रथ में अस्त्र-शस्त्र , विशाल धनुष और शक्तियों से भरे बाण तथा इंद्र का अमोघ कवच भी था  । राम ने इंद्र का अनुरोध स्वीकार कर लिया तथा रथ पर सवार होकर युद्ध करने लगे ।

राम और रावण के मध्य अस्त्र - युद्ध

रावण ने राम पर गंधर्व अस्त्र चलाया जिसे राम ने गंधर्व अस्त्र से ही काट डाला । राम की शक्ति का अनुमान लगाकर रावण ने राक्षस - अस्त्र का प्रयोग किया , राम ने उसे भी गुरु अस्त्र से काट दिया । रावण जो भी अस्त्र चलाता , राम उसे काट देते थे ।

रावण बहुत अधिक विचलित हो गया । उसने क्रोधित होकर मातलि पर बाण चलाया  तथा उसे घायल कर दिया । उसने रथ के घोड़ो को भी घायल कर दिया । उसके बाणों से राम भी घायल हो गए । राम को घायल करके रावण भयंकर गर्जना करने लगा ।

रावण का क्रोध व उत्साह बढ़ते ही जा रहे थे । उसने राम पर शूल फेकते हुए कहा- हे राम ! अब तुम्हारा अंत आ गया है । यह शूल तुम्हें जीवित न छोड़ेगा । " रावण ने शूल फेका । राम ने शूल को रोकने के लिए बाण चलाया । शूल राम की ओर बढ़ता रहा । तब राम ने रथ से इंद्र द्वारा प्रदान की गई शक्ति निकालकर शुल पर चला दी ।

शूल के टुकड़े - टुकड़े हो जाने से रावण का क्रोध और भी भड़क उठा । राम ने रावण पर तेज बाण छोड़ें । वे बाण रावण के माथे और छाती पर लगे । रावण की देह से रक्त बहने लगा , परन्तु वह फिर भी युद्ध करता रहा । धीरे धीरे रावण की शक्ति कमजोर पड़ने लगी । यह दशा देखकर रावण का सारथी रथ को लंका में ले गया । 

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