माला में 108 दाने क्यों होते हैं

माला में 108 दाने क्यों होते हैं?

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            अंक शास्त्र के अनुसार मूलांक अर्थात 1 से लेकर 9 तक के अंक नवग्रहों के प्रतीक हैं, इसी प्रकार दर्शनशास्त्र में भी अंकों के संदर्भ में व्याख्या की है/ 108 की संख्या के पीछे यह रहस्य है कि इसके द्वारा जीव सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति ईश्वर के दर्शन और ब्रह्मा तत्व की अनुभूति जो भी चाहे कर सकता है/ 

सांसो की संख्या के आधार पर

           हमारी सांसो की संख्या के आधार पर 108 दानों की माला स्वीकृत की गई है, 24 घंटों में एक व्यक्ति 21600 बार सास लेता है यदि 12 घंटे दिनचर्या में निकल जाते हैं तो शेष 12 घंटे देव आराधना के लिए बचते हैं, अर्थात 10800 सांसो का उपयोग अपने इष्ट देव की स्मरण के लिए करना चाहिए/ लेकिन इतना समय देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता इसलिए इस संख्या में से अंतिम दो शून्य हटाकर शेष 108 साथ में ही प्रभु स्मरण की मान्यता प्रदान की गई/

सूर्य के आधार पर
           एक अन्य मान्यता के अनुसार 1 वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है, सूर्य हर 6 महीने में उत्तरायण और दक्षिणायन रहता है, इस प्रकार 6 महीने में सूर्य की कुल कलाएं 108000 होती हैं, अंतिम 3 शून्य हटाने पर 108 संख्या मिलती है, इसलिए माला जप में 108 दाने सूर्य की एक-एक कलाओं के प्रतीक हैं/

ज्योतिष शास्त्र के आधार पर
          तीसरी मान्यता के अनुसार ज्योतिष शास्त्र इन्हें 12 राशियों और नौ ग्रहों से जोड़ता है, 12 राशियों और नौ ग्रहों के गुणनफल 108 आता है, अर्थात 108 अंक में संपूर्ण जगत की गति का प्रतिनिधित्व करता है/

ऋषि मुनियों के आधार पर
           चौथी मान्यता भारतीय ऋषियों द्वारा 27 नक्षत्रों की खोज पर आधारित है, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं अतः इनके गुणनफल की संख्या 108 आती है जो परम पवित्र मानी जाती है, संतो महान पुरुषों के नाम के पूर्व 108 अंक का प्रयोग यह भी संकेत देता है कि वे प्रकृति ईश्वर एवं ब्रह्मा के संबंध में परोक्ष और अपरोक्ष ज्ञान वाले हैं/


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