श्री वैष्णों देवी तीर्थ के दर्शनीय स्थल | SHRI VAISHNO DEVI

श्री वैष्णों देवी तीर्थ के दर्शनीय स्थल | SHRI VAISHNO DEVI



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      Shri Vaishno Devi तीर्थ के दर्शनीय स्थल



विश्व में प्रसिद्ध माता Shri Vaisho Devi के तीर्थ स्थल जम्मू और कटरा में कई स्थल हैं , जहां यात्री सुविधा पूर्वक दर्शन कर सकते हैं । यहां पर यात्रियों के ठहरने की भी सुविधा उपलब्ध है ।

श्री रघुनाथ मन्दिर जम्मू  

यह Shri Vaishno Devi  यात्रा का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं दर्शनीय मन्दिर है । राम यंत्र के आधार पर निर्मित इस मन्दिर में लगर्भग सभी देवी - देवताओं के पन्द्रह विशाल मन्दिर है । महाराज रणवीर सिंह द्वारा 1856 ई . में बनवाया गया पूरे भारत में बेजोड़ मन्दिर जम्मू बस अड्डे के समीप ही स्थित है । कुछ यात्री Shri Vaishno Devi जाने से पहले तथा कई वापिसी में भी यहां दर्शन करने आते हैं ।

कौल कन्धोली ( नगरोटा )  

जम्मू से 8 कि.मी. दूर नगरोटा नामक स्थान में भगवती का कौल कन्धोली नाम से प्राचीन मन्दिर है । Shri Vaishno Devi यात्रा में पहला दर्शन इसे ही माना जाता है । जिन दिनों जम्मू में पैदल यात्रा हुआ करती थी तब यह स्थान पहला तथा मुख्य दर्शन समझा जाता था । अब यदि यात्री चाहें तो जम्मू में ही बस - ड्राईवर को इस स्थान पर रुकने के लिए आग्रह कर देवें , अन्यथा बस यहां नहीं रुकती । कहा जाता है कि माता Shri Vaishno Devi ने यहां अन्य स्थानीय बालिकाओं के साथ गेंद - क्रीड़ा की थी । गेंद खेलते हुए जब कन्याओं को प्यास लगी तो माता ने उन्हें एक कौल ( कटोरा ) दिया , जिसको सूखे स्थान पर कन्धोलने ( हिलाने ) से पानी निकल आया था । इसी से यह स्थान कौल - कन्धोली नाम से प्रसिद्ध हो गया ।

दूजा दर्शन - देवामाई 

जम्मू से लगभग 4 किलोमीटर दूर कटरा मार्ग पर ही नुमाई नामक गांव पड़ता है । नुमाई से देवामाई तक जाने के लिए पगडण्डी मार्ग है । इस स्थान को Shri Vaishno Devi की यात्रा में दूसरा दर्शन कहा गया है । यहाँ पर माता की मूर्ति के अतिरिक्त छोटा त्रिशुल भी है । जिन दिनों पैदल यात्रा होती थी , उन दिनों देवामाई में बहुत चहल - पहल रहती थी । अब तो बहुत कम यात्री देवामाई तक जा पाते हैं । इस स्थान का नाम वैष्णो माता की एक पुजारिन माई - देवा के नाम पर रखा गया , जिसने आयुपयन्त नियम , श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक देवी की आराधना की थी ।


बस स्टैण्ड कटरा  

इसी स्थान से पैदल यात्रा प्रारम्भ होती है । साथ ही कटरा का एक लम्बा बाजार है , जहां से खाने - पीने की तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं उचित मूल्य पर मिल जाती हैं । ठहरने के लिए निकट ही होटल , धर्मशाला तथा यात्री विश्राम गृह बने हुए हैं । सामने श्रीधर सभा द्वारा निर्मित 7 मंजिला विशाल भवन है , जिसमें हजारों यात्री ठहर सकते हैं । यात्रा पर जाने से पहले , प्रत्येक यात्री के लिए , बस स्टैण्ड पर ही स्थित टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर से यात्रा पर्ची प्राप्त करना अनिवार्य है , अन्यथा बाण गंगा से वापिस आना पड़ता है । यह यात्रा - पर्ची निःशुल्क दी जाती है । यहां से माता Shri Vaishno Devi की यात्रा प्रारंभ की जाती है ।

श्री रघुनाथ मन्दिर , कटरा  

कटरा बस स्टैण्ड से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ यह सुन्दर मन्दिर स्वामी नित्यानंद जी का बनवाया हुआ है । यहाँ श्री रघुनाथ जी के अतिरिक्त 112 मन वजनी हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति भी है भगवान आशुतोष का मन्दिर और स्वामी नित्यानंद जी की समाधि भी बनी हुई है । Shri Vaishno Devi जाते हुए यात्री रास्ते में इस स्थान के दर्शन कर सकते हैं ।

बाण गंगा का मन्दिर व पुल  

कन्या - रूपी महाशक्ति जब उक्त स्थान से होकर आगे बढ़ी तो उसके साथ वीर लांगुर भी था । चलते - 2 वीर लांगुर को प्यास लगी तो देवी ने पत्थरों में बाण मारकर गंगा प्रवाहित कर दी और अपने प्रहरी की प्यास को तृप्त किया । उसी गंगा में ही माता Shri Vaishno Devi ने अपने केश भी धोकर संवारे इसलिए इसे बाल गंगा भी कहते हैं ।

चिन्तामणि मन्दिर व धर्मशाला 

कटरा से माता के दर्शनों के लिए जाते हुए यात्री मार्ग में ही इस भव्य मन्दिर के दर्शन कर सकते हैं । चिंतामणि ट्रस्ट द्वारा निर्मित विशाल धर्मशाला में आधुनिक सुविधा से युक्त कई कमरे हैं , जहां यात्री विश्राम कर सकते हैं । मन्दिर में दुर्गा जी की सुन्दर प्रतिमा और विशाल शिवलिंग के दर्शन होते हैं । बस स्टैण्ड से लगभग एक किलोमीटर है । यह स्थान कटरा से 2 किलोमीटर और पिछले दर्शनी दरवाजा नामक स्थान से एक किलोमीटर है । एक पुल द्वारा इस गंगा को पार कर आगे बढ़ते हैं । समीप ही मंदिर है । अधिकांश लोग यहाँ स्नान भी करते हैं । यहीं से सीढ़ियों वाला पक्का मार्ग भी प्रारम्भ हो जाता है । साथ ही कच्चा मार्ग भी है जिससे खच्चर घोड़े आदि जाते हैं । वास्तव में यहीं से त्रिकुट पर्वत (माता Shri Vaishno Devi दर्शन) की कठिन चढ़ाई प्रारम्भ होती है ।

Shri Vaishno Devi नई गुफा  

यात्रियों की सुविधा के लिए 20 मार्च 1977 को इस नई गुफा का उद्घाटन डा . कर्ण सिंह जी द्वारा सम्पन्न हुआ । प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण यात्रियों को दर्शन करने के पश्चात् वापिस आने में काफी समय लग जाता था , जिससे अन्य यात्रियों को बड़ी देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी तथा सीमित संख्या में ही लोग दर्शन कर पाते थे।

Shri Vaishno Devi पुरानी गुफा 

गुफा के प्रवेश द्वार पर ही मन्दिर अथवा भवन बना है । इसके सामने क्रम से पंक्तिबद्ध होकर भक्तजन दर्शन के लिए प्रतीक्षा करते हैं । गुफा का प्रवेश द्वार काफी संकरा ( तंग ) है । लगभग दो गज तक लेटकर या काफी झुककर आगे बढ़ना पड़ता है , गुफा के अन्दर सीधे खड़ा नहीं हुआ जा सकता और टखनों की ऊंचाई तक शुद्ध एवं शीतल जल प्रवाहित होता रहता है । जिसे चरण गंगा कहते है ।

भैरों मन्दिर  

Shri Vaishno Devi के दर्शन करने के बाद वापिस लौटते समय भक्तजन भैरों बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं । Shri Vaishno Devi भवन से लगभग आधा कि.मी. आगे चलकर भैरों मन्दिर के लिए कच्ची पगडण्डी तथा पक्की सीढ़ियां , दोनों प्रकार का मार्ग बना है । Shri Vaishno Devi भवन से 2.5 किलोमीटर तथा समुद्रतल से 6483 फीट है ।


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