Naina Devi Temple Himachal, NAINA DEVI History IN HINDI

Naina Devi Temple Himachal, NAINA DEVI History IN HINDI



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              Naina Devi Mata

           Mata Naina Devi का मंदिर जिला बिलासपुर (Himachal Pradesh) में हैं। यह हिंदुओं के तीर्थ स्थलो में से एक है। Naina Devi की गणना प्रमुख शक्तिपीठ में होती है। हिमाचल प्रदेश में स्थित यह स्थान पंजाब की सीमा के काफी समीप है। मंदिर में भगवती Naina Devi के दर्शन पिंडी के रूप में होते हैं। श्रावण मास की अष्टमी तथा नवरात्रों में यात्रा बहुत अधिक संख्या में होती है। अन्य दिनों यहां अपेक्षाकृत कम यात्री जाते हैं। यहां यात्री अपने वाहन से भी जा सकते हैं।

Naina Devi Temple distance

           उत्तरी भारत के पंजाब राज्य में भाखड़ा-नंगल लाइन पर आनंदपुर साहिब प्रसिद्ध स्टेशन है। इस स्थान से उत्तर दिशा की ओर शिवालिक पर्वत के शिखर पर Naina Devi का भव्य मंदिर बना हुआ है। Naina Devi के लिए नंगल से बस सेवा उपलब्ध होती हैं। लगभग तीन घंटे में यात्री बस द्वारा नांगल से Naina Devi पहुंच जाते हैं। बस स्टैंड से नैना देवी के मंदिर पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर पहाड़ी मार्क पैदल चढ़ना होता है। जिसे साधारणतया यात्री लगभग आधे घंटे में सुविधा से पूरा कर लेते हैं। इस मंदिर के निर्माण तथा उत्पत्ति के विषय में कई दंत कथाएं प्रचलित हैं। 
           लेकिन निम्नलिखित कथा प्रामाणिक मानी जाती है।

Naina Devi Mata History in hindi

           इस पहाड़ी के समीप के इलाके में कुछ गुर्जरो कि आबादी रहती थी, उसमें नैना नाम का एक गुर्जर देवी का परम भक्त था। वह अपने गाय, भैंस आदि पशुओं को चराने के लिए इस पहाड़ी पर आया करता था। इस पहाड़ी पर जो पीपल का वृक्ष अब भी विराजमान है,उसके नीचे आकर नैना गुजर की एक अनब्याही गाएं खड़ी हो जाती थी, और उसके स्तनों से अपने आप दूध निकल पड़ता था। नैना गुर्जर ने यह दृश्य कई बार देखा, वह यह देख कर सोच विचार में डूब जाता था कि आखिर एक अनसुईया गाय के स्तनों में इस पीपल के पेड़ के नीचे आकर दूध क्यों आ जाता है ? 
           अंततः एक बार उसने उस पीपल की पेड़ के नीचे जाकर, जहां गाय का दूध गिरता था, वहां पड़े हुए सूखे पत्तों के ढेर को हटाना आरंभ कर दिया। पत्ते हटाने के बाद उसमें दबी हुई पिंडी के रूप में मां भगवती की प्रतिमा दिखाई दी। नैना गुर्जर ने जिस दिन से पिंडी के दर्शन किए, उसी रात में को माता ने स्वप्न में उसे दर्शन दिए, और कहा कि मैं आदिशक्ति दुर्गा हूं ,तू इसी पीपल के पेड़ के नीचे मेरा स्थान बनवा दे,मैं तेरे ही नाम से प्रसिद्ध हो जाऊंगी। नैना मां भगवती का परम भक्त था। उसने प्रातः काल उठते ही देवी मां की आज्ञा के अनुसार उसी दिन से मंदिर की नीव रख दी। 

           शीघ्र ही उस स्थान की महिमा चारों और फैल गई। श्रद्धालु भक्त दूर-दूर से आने लगे, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती रही। देवी के भक्तों ने भगवती का  सुंदर भव्य तथा विशाल मंदिर बनवा दिया, और यह तीर्थ "Naina Devi" नाम से प्रसिद्ध हो गया। मंदिर के समीप ही एक गुफा है, जिसे Naina Devi की गुफा कहते हैं। इसके दर्शन के लिए भी कई भक्त जाते हैं।




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