Keelak Stotram Benefits In Hindi
Keelak Stotram
श्री जगदम्बा जी की प्रसन्नता हेतु नवरात्र व्रत में इस स्तोत्र का विनियोग है ।
- अर्गला स्तोत्र के पाठ से करें मां दुर्गा को प्रसन्न
- देवी कवच के पाठ से मां रक्षा के साथ हर कामना पूरी करती है
- कीलक स्तोत्र के पाठ से करें मां दुर्गा को प्रसन्न
ॐ चण्डिका देवी को नमस्कार है । मार्कण्डेय जी बोले- " ॐ , मैं उन भगवान शंकर जी को प्रणाम करता हूँ , जो त्रिनेत्र वाले हैं , जो मोक्ष प्रदान करने वाले हैं तथा जिनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्रमा शोभायमान है । जो व्यक्ति इन कीलक मंत्रों को जानता है वही पुरुष कल्याण की प्राप्ति का अधिकारी है , जो अन्य मंत्रों के साथ सप्तशती स्तोत्र से देवी की स्तुति करता है , उसको इससे ही देवी की सिद्धि प्राप्त हो जाती है । अपने कार्यों की सिद्धि हेतु दूसरे देवी - देवताओं की साधना करने की आवश्यकता नहीं रहती ।
Keelak Stotram Benefits In Hindi
क्या केवल सप्तशती की उपासना से या सप्तशती को छोड़कर अन्य मंत्रों की उपासना से भी समान रूप से सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं । क्या समस्त उच्चाटनादिक इसी से सिद्ध हो जाते हैं । इस प्रकार की लोगों को शंका हुई तब उस शंका के निवारण के लिए भगवान भोलेनाथ ने सब लोगों को बुलाकर आज्ञा दी- " यह सब सिद्धियाँ देने वाला शुभ स्तोत्र है । इसके पश्चात भगवान भोलेनाथ ने चण्डिका के सप्तशती नामक स्तोत्र को गुप्त कर दिया । इस स्तोत्र के पाठ द्वारा प्राप्त होने वाला पुण्य कभी समाप्त नहीं होता । अतः इस कीलक मंत्र को पूरी तरह से जान लेना आवश्यक है । साधक सभी तरह के क्षेम को प्राप्त कर लेता है , इसमें कोई भी संशय नहीं है ।
भगवती की सेवा में जो अपना सब कुछ समर्पित कर देता है और फिर उसे प्रसाद रूप से ग्रहण करता है , उस पर भगवती प्रसन्न हो जाती हैं । इस प्रकार सिद्धि के प्रतिबंधक रूप Keelak Stotram के द्वारा महादेव ने इसे कीलित कर रखा है । इसलिए इसका निष्कीलकन करके जो नित्य जपता है वह सिद्ध , गण या गंधर्व होता है । वह कहीं भी घूम रहा हो उसे कोई भय नहीं रहता , उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती , मृत्यु उपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
Keelak Stotram को जाने और उसका परिहार करके सप्तशती का पाठ आरंभ करें । ऐसा न करने पर उसका नाश हो जाता है । Keelak Stotram और निष्कीलन का ज्ञान प्राप्त करने पर ही यह स्तोत्र निर्दोष होता है और विद्वान पुरुष इस निर्दोष स्तोत्र का ही पाठ आरंभ करते हैं । स्त्रियों में जो कुछ सौभाग्य आदि दिखाई देता है वह सब इस पाठ की ही कृपा का फल है । इसलिए इस कल्याणकारी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । Keelak Stotram का धीरे - धीरे पाठ करने से स्वल्प फल मिलता है । इसलिए उच्च स्वर से ही इसका पाठ करना चाहिए ।
जिस देवी के प्रसाद से ऐश्वर्य , सौभाग्य , आरोग्य , सम्पत्ति , शत्रु का नाश तथा परम मोक्ष की प्राप्ति होती है , उस देवी की स्तुति अवश्य करनी चाहिए ।
Ratri Suktam In Hindi
महतत्त्वादि रूप व्यापक इंद्रियों से संसार की समस्त वस्तुओं को प्रकाशवान करने वाली ये रात्रिरूपा देवी अपने पैदा किए हुए जीवों के शुभाशुभ कर्मों को विशेष रूप से देखती रहती है तथा उनके अनुरूप फल की व्यवस्था करने हेतु समस्त विभूतियों को धारण करती है । यह देवी अमर हैं और समस्त संसार को , नीचे फैलने वाली लता आदि को तथा ऊपर की ओर बढ़ने वाले पेड़ों को भी व्याप्त करके स्थित हैं । इतना ही नहीं ये जीवों के अज्ञानान्धकार को अपनी ज्ञानमयी ज्योति से दूर कर देती है शक्तिरूपा रात्रि देवी अपनी बहिन ब्रह्म विद्यामयी ऊषा देवी को प्रकट करती हैं इस कारण अविद्यामय रूपी अंधकार स्वयं नष्ट हो जाता है ।
हे रात्रिदेवी ! आप मुझ पर प्रसन्न हों , जिनके आने पर हम सब अपने घरों में सुखपूर्वक नींद का आ लेते हैं - ठीक वैसे ही , जैसे रात्रि को सभी पक्षी पेड़ों पर बनाए हुए अपने में सुखपूर्वक निद्रा का आनन्द लेते हैं । इस करुणामयी रात्रि देवी की गोद में समस्त मनुष्य , पैरों से चलने वाले गाय , घोड़े , ऊँट , बैल आदि पशु , पक्षी एवं कीट - पतंगे आदि , किसी प्रयोजन से यात्रा करने वाले यात्री और बाज आदि भी सुखपूर्वक सोते हैं । हे रात्रिमयी शक्ति ! तुम कृपा करके वासनामयी वृकी तथा पापमय वृक को हमसे अलग करो ।
काम आदि तस्कर समुदाय को भी दूर भगाओ । हे रात्रि देवी ! आप हमारे लिए मोक्षदायनी एवं कल्याणकारिणी बन जाओ । हे ऊषा ! हे रात्रि की अधिष्ठात्री देवी ! सब तरफ फैला हुआ अज्ञानमय काला अंधकार मेरे निकट आ गया है । आप इसे मुझसे दूर करो । जैसे धन देकर अपने भक्तों को ऋण से उऋण करती हो , उसी प्रकार ज्ञान का प्रकाश देकर मेरा अज्ञान रूपी अंधकार दूर करो । हे रात्रि देवी ! आप दूध देने वाली गौ के समान हो । हे परभ व्योम स्वरूप परमात्मा की पुत्री ! तुम्हारी दया से में काम आदि शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सका हूँ । तुम स्तोम की भाँति मेरे हर्विय को ग्रहण करो ।
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