पहले नवरात्रि की कहानी पहला नवरात्रि कब है? | माता शैलपुत्री की कथा

पहले नवरात्रि की कहानी पहला नवरात्रि कब है? | माता शैलपुत्री की कथा

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पहला नवरात्र कब है? 


             हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व माना गया है ,चैत्र नवरात्रि को मां आदिशक्ति ने प्रथम दिन सृष्टि का आरंभ किया था इसलिए इसी दिन से चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी/ इस बार नवरात्र दिन बुधवार 25 मार्च 2020 को शुरू होगा, इस बार नववर्ष का राजा बुध होगा, क्योंकि दिन बुधवार से ही नवरात्रि आरंभ हो रहा है, और इसी दिन से विक्रम नवसंत्सवर 2077 की शुरुआत होगी/

पहला नवरात्र

           पहले नवरात्रि को "मां शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में मां पार्वती के नौ रूपों को ही नवदुर्गा कहा जाता है, नवदुर्गा पापों की विनाशिनी है, सभी देवी के अलग-अलग वाहन हैं और अस्त्र शस्त्र भी अलग-अलग हैं/

           पहले नवरात्रि, दुर्गा जी के पहले रूप को "शैलपुत्री" के नाम से जानते हैं, यह नौ दुर्गा में से प्रथम दुर्गा है, इनका जन्म पर्वतराज हिमालय के घर एक पुत्री के रूप में हुआ, जिस कारण इनका नाम "शैलपुत्री" पड़ गया/

           इनका वाहन वृषभ है, इसलिए इस देवी को "वृर्षारुढा" के नाम से भी जानते हैं/ इनके दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया हुआ है और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है, इन्हें "सती" के नाम से भी जाना जाता है, इनकी एक मार्मिक कहानी है...

             पहले नवरात्रि की कहानी


           एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया, तो इसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया, सती यज्ञ में जाने के लिए उत्सुक थी, लेकिन शंकर जी ने कहा कि सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया है लेकिन उन्हें कोई आमंत्रण नहीं दिया गया, इसलिए यज्ञ में जाना उचित नहीं है /

           सती का अधिक आग्रह देखकर शंकर जी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी, सती जब यज्ञ में पहुंची तो सिर्फ उनकी मां ने ही उन्हें स्नेह दिया, भगवान भोलेनाथ के प्रति भी तिरस्कार का भाव था , राजा दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे, जिससे सती को आघात पहुंचा वे अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकी और योग अग्नि द्वारा अपने आपको जलाकर भस्म कर लिया/ इस कारण दुख से व्यथित होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ को ध्वस्त कर दिया/

           यही सती अगले जन्म में शैल राज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी और "शैलपुत्री" कहलाई, शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ और शैलपुत्री भगवान शंकर की अर्धांगिनी बनी, इनका महत्व और शक्ति अनंत है, पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम है/

           पहले नवरात्रि को श्रद्धा पूर्वक मां शैलपुत्री को भोग इत्यादि अर्पण करें, माना जाता है कि पहले नवरात्रि को जो भी भक्त मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना बड़े भक्ति भाव से करता है उसकी सर्व मनोकामना पूर्ण होती है/

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