उत्तम जीवन के लिए कुछ सफल सूत्र

 उत्तम जीवन के लिए कुछ सफल सूत्र


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1 :- धन सम्पदाओं में विद्या उत्तम है , औषधियों में उत्तम गिलोय , अङ्गों में उत्तम सिर , सुखों में सबसे उत्तम सुख स्वास्थ्य , इन्द्रियों में नेत्र , तृप्तियों में आहार तृप्ति उत्तम है । स्त्रियों में माता का स्थान उत्तम , देवताओं में गुरु , और संरक्षकों में पिता का स्थान उत्तम माना जाता है । सर्वोत्तम वही है जो सभी कार्यों और कर्त्तव्यों का पालन निष्काम भाव से करता है । 

2 :- जो लोग अपने काम के साथ दूसरों का काम संवारते हैं , वे सज्जन पुरुष होते हैं । जो अपना काम भूलकर दूसरों की सेवा करते हैं , वे महापुरुष होते हैं । जो अपना काम संवारने के लिये दूसरों के काम बिगाड़ते हैं उनसे बढ़कर स्वार्थी कोई नहीं होता । 

3 :- जिसमें सन्तोष है , वह सुखी है । जो ऋणग्रस्त नहीं , वही प्रसन्न है । 

4 :- कर्जा लेते समय तो राहत महसूस होती है , लेकिन चुकाते समय कष्ट का अनुभव होता है । 

5 :- जो लोग बिना आगा पीछा सोचे समझे या देखे कोई भी काम करते हैं , उसका फल अनिष्टदायक हो सकता है ।

6 :- वे लोग समाज में अपनी प्रतिष्ठा खो देते हैं , जो दूसरों की उन्नति में प्रसन्न नहीं होते , बिना पूछे अपनी राय देते हैं , दूसरों की पीठ पीछे निन्दा करते हैं और घर आये अतिथि का अपमान करते हैं । 

7 :- हँसी मजाक में कही गई गलत बात कभी कभी ऐसी चुभ जाती है कि अनर्थ हो जाता है । इसलिये हँसी मजाक करने से पहले विचार जरूर कर लें । 

8 :- जो आपात् काल में , अकाल पड़ने पर और रोगी होने पर काम आये , वही बन्धु है । 

9 :- संसार में कोई पदार्थ बुरा नहीं है । उसका उपयोग ही उसे बुरा या भला बनाता है । 

10 :- सफलता और असफलता जीवन के दो पहलू हैं । असफल होने पर निराश न हों तथा सफल होने पर विवेक बनाये रखें । 

11 :- आगे बढ़ने का सदैव प्रयास करते रहें । असफलता को चुनौती समझकर काम में दोगुने उत्साह से जुट जाना चाहिये ।

12 :- शत्रु , रोग और ऋण इन्हें कभी छोटा न समझें । इनसे जल्दी से जल्दी छुटकारा पा लेना ही समझदारी है । 

13 :- जीवन संघर्ष का नाम है और संघर्ष ही जीवन है , फिर संघर्ष से घबराना कैसा ? 

14 :- जो लोग धैर्य और विवेक नहीं छोड़ते , जो दूसरों के दु:ख को अपना दु:ख समझते हैं और परोपकार के लिये सदैव तत्पर रहते हैं , ऐसे मनुष्यों का ही जन्म लेना सफल है । 

15 :- यदि आप सुखी रहना चाहते हैं तो सभी काम प्रभु की इच्छा और सेवा मानते हुये करें । उसका जो फल होगा , वह भला ही होगा और इसे ही स्वीकार करें तो आपसे ज्यादा सुखी और कोई नहीं होगा । 

16 :- जिस परिवार में कलह नहीं होती , पति । पत्नी दो तन एक प्राण होकर रहते हैं , जहाँ से याचक खाली हाथ नहीं लौटता , वहाँ लक्ष्मी का सदा निवास होता है । 

17 :- जो लोग धर्म को त्याग देते हैं , धर्म उन्हें त्याग देता है । जो समय नष्ट करते हैं , उन्हें समय नष्ट कर देता है । इसलिये धर्म और समय दोनों का पालन करना मनुष्य का कर्तव्य है ।


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