दुर्गा अष्टमी व्रत कब है? | कैसे करें दुर्गा अष्टमी की पूजा और कन्या पूजन
आठवां नवरात्र
महागौरी देवी शक्ति का आठवां स्वरुप है। नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा अर्चना का बड़ा ही महत्व है। तिथि 1 अप्रैल दिन बुधवार वर्ष 2020 को चेत्र नवरात्रि दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।
पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि व्रियेअहं वरदं शम्भुं नान्यं देवं महेश्वरात्। गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार- इन्होंने शिव के वरण के लिए कठोर तपस्या का संकल्प लिया था जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिव जी ने इनके शरीर को पवित्र गंगाजल से मलकर धोया तब वह विद्युत के समान अत्यन्त कांतिमान गौर हो गया, तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।
महागौरी का स्वरुप
इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। इनका दाहिना ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला हाथ वर की शान्त मुद्रा में है। इनका वाहन वृषभ है।
महागौरी की पूजा
देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति और श्री की वृद्धि होती है। पूजा करते समय साधक लाल, पीले, केसरिया, गुलाबी या सफेद रंग के कपड़े पहन कर ही पूजा करें, क्योंकि महागौरी को यह रंग अति प्रिय हैं। पीले रंग की रेशमी साड़ी या रुमाल जो हल्दी से रंगा हुआ हो वह मां को अर्पित करें।
इनकी आराधना करने वाले साधक को सुख समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन महागौरी की पूजा से समस्त दुखों का हरण होता है।
कन्या पूजन
दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन व उनको भोजन करना अति महत्वपूर्ण माना गया है। जो नवरात्रि व्रत का पारण माना गया है। 7 या 8 वर्ष से छोटी (अविवाहित) कन्याओं का पूजन करके भोजन कराए। इसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें दान और दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। इस समय कोरोना वायरस के चलते हुए कन्या पूजन के स्थान पर आप गाय को भोजन कराएं और हो सके तो पास पड़ोस में कोई भी यदि भूखा हो तो उसे भोजन जरूर कराएं।
दुर्गा अष्टमी की कथा
एक समय की बात है, जब प्रथ्वी पर राक्षसो का प्रकोप बहुत अधिक बढ़ गया था, और राक्षसो के राजा महिषासुर ने देवताओं को हराकर उनका राज्य हड़प लिया और खुद स्वर्ग लोक पर राज करने लगा। सभी देवता महिषासुर से दुखी होकर भगवान ब्रह्मदेव, भगवान विष्णु और भगवान शंकर के पास अपनी समस्या लेकर गए, तो भगवान शंकर को बहुत गुस्सा आया तब तीनो ने मिलकर एक शक्तिपुंज (मां दुर्गा) की उत्पत्ति की और उसे महिषासुर का वध करने के लिए पृथ्वी पर भेज दिया। मां दुर्गा ने महिषासुर की सारी सेनाओं को मारकर महिषासुर का भी वध कर दिया, उसी दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है, तभी से मां दुर्गा की पूजा का बहुत महत्व माना गया है।
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